चौरी चौरा कांड: 1 अगस्त 1921 को असहयोग आंदोलन का आरंभ हुआ। उसके समर्थन में कई स्थानों पर आंदोलन आरंभ हुए। यह सभी आंदोलन गांधी जी के निर्देशनुसार "अहिंसक सत्याग्रह" पर ही आधारित थे।
असहयोग आंदोलन आरंभ होने के लगभग 6 माह बाद, 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चोरा चोरी नामक गांव में आंदोलित सत्यग्रहियों पर अंग्रेजों द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज की गई।
यह सभी लोग शराब बिक्री, महंगाई आदि के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों द्वारा बल प्रयोग किया गया और आंदोलन कर्ताओं को बुरी तरह से पीटा गया। जिसका उन्होंने विरोध किया और हाथापाई होने लगी। इसी बीच अंग्रेजों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दी गई। जिससे कुछ प्रदर्शनकारी मारे गए। प्रणाम स्वरूप आंदोलनकारी क्रुद्ध हो गए और सिपाहियों पर हमला कर दिया। सिपाही पुलिस थाने में जा छिपे। पर गुस्साई भीड़ ने थाने में ही आग लगा दी। जो सिपाही किसी प्रकार बचकर निकल पाए, उनको भिड़े ने मार डाला और आग में फेंक दिया।
इस दुर्घटना में 22 पुलिस वाले मारे गए। इस घटना ने गांधीजी को आघात पहुंचाया और उन्होंने चौरी चौरा कांड की घटना के बाद, असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
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